अलविदा संगीतकारखय्याम करोगे याद तो हर बात याद आएगी!


नयी दिल्ली : संगीतकार खय्याम का हुआ, वह नौशाद, शंकर जयकिशन, रोशन, मदन-मोहन, गुजर जाना बहुत उदास कर गया। चित्रगुप्त, हेमंत कुमार, रवि, कल्याणजी आनंदजी जैसे वि संगीत निर्देशकों की उस पीढ़ी संगीतकारों का दौर था। अपनी सुकून भरी अलग संगीत शैली के शायद आखिरी जीवित व्यक्ति थे की वजह से वे अपने लिए एक खास जगह बनाने में सफल अवि जिनके लिए संगीत शोर नहीं सुकून हुए। खय्याम के जिन गीतों ने हमारी कल्पनाओं को सबसे था, राहत था, प्रेम की गहराई में ज्यादा उड़ान दी।उनमें प्रमुख हैं। जीत ही लेंगे बाज़ी हम तुम, धंसने और भीगकर बाहर निकलने का अवसर था। प्रेम के लिए अगर मुझसे मुहब्बत है मुझे सब अपने ग़म दे दो, ठहरिये होश खुला आकाश और आंसुओं के लिए मुलायम तकिया था। में आ लूं तो चले जाइयेगा, फिर छिड़ी रात बात फूलों की, उन्होंने बहुत कम फिल्मों में ही संगीत दिया, लेकिन फिल्म दिखाई दिए यूं कि बेसुध किया, बहारों मेरा जीवन भी संवारो, 'फुटपाथ' के गीत 'शामे गम की कसम आज ग़मी हैं हम' देख लो आज हमको जी भर के, करोगे याद तो हर बात याद से लेकर 'उमराव जान' के गीत 'ये क्या जगह है दोस्तों, ये आएगी, हज़ार राहें मुड़ के देखी,ऐ दिले नादां आरजू क्या है कौन सा दयार है' तक की उनकी संगीत-यात्रा में में प्रेम के जुस्तजू क्या है, देखिये आपने फिर प्यार से देखा मुझको, आंखो इतने सारे शेड्स हैं कि हमसबको अपने हिस्से का कुछ न कुछ में हमने आपके सपने सजाये हैं,कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल उनमें मिल ही जाता है।जिस दौर में फिल्मों में उनका आना आता है, मैं पल दो पल का शायर हूं,